अज्ञानी नहीं ज्ञानी बनो।
अज्ञानता से भय पैदा होता है।
भय से अंधविश्वास पैदा होता है।
अंधविश्वास से अंधभक्ति पैदा होती है।
अंधभक्ति से व्यक्ति का विवेक शून्य हो जाता है।
जिस का विवेक शून्य हो जाता है वह इंसान ही मानसिक गुलाम होता है |
प्रकृति के नियम को जान लेना ज्ञान है।
“इमस्मिं सति इदं होति,
इमस्मिं असति इदं न होति ।”
अर्थात-
इस कारण के होने से यह परिणाम होगा। इस कारण के नहीं होने से यह परिणाम नहीं होगा।
As you sow so shall you reap.
तथागत बुद्ध ने इस कुदरत के नियम को स्वयं जाना और जानकर सब को बताया हैं ।
जैसा बीज वैसा फल ।
एक बीज बोयेंगे अनेक फल पायेंगे ।
संसार के सभी प्राणियों पर यह नियम एक समान लागू होता हैं ।
मनुष्य भी संसार में एक प्राणी हैं ।
वह भला कुदरत के इस कानून से कैसे बच सकते हैं ?
यदि हम एक दाना बोये, और प्रकति हमें एक ही दाना फल के रूप में दे, तो सोचो इंसान की क्या हालत हुयी होती ? धान बोए या खाये ? सोचते रहते, ढूंढते रहते !!! पर कुदरत में इंसान के लिए ऐसी व्यवस्था है कि, हम एक दाना बोते हैं और हमें सैकड़ो, हजारो दाना वापस मिलते है।
यही प्रकृति का नियम हमारे जीवन में भी लागू होता है । देखना हैं कि हम क्या बोते हैं, यदि, हम दुःख, क्रोध, ईर्ष्या बोते है, तो प्रकृति से हमें दुःख, क्रोध, ईर्ष्या सैकड़ो हजारो गुना फल के रूप में वापस मिलता है, और यदि सुख, प्रेम, बौते है, तो प्रकृति से हमें सुख, प्रेम सैकड़ो हजारो गुना देती हैं, इसमें कोई शक की बात ही नही है ।
?यह प्रकृति है, यह नियम है।?
नमो बुद्धाय???
सबका मंगल हो