हरियाणा में आसान नहीं है अन्य पिछड़ा वर्ग का सामाजिक व आर्थिक विकास का सफर : समालोचनात्मक मूल्यांकन
#समाज वीकली
डॉ राकेश सिहंमार, सहायक प्रोफेसर, अर्थशास्त्र विभाग, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय,जींद (हरियाणा-भारत)
Mob.no- 9212307727
वर्तमान समय मे हरियाणा में अन्य पिछड़ा वर्ग की बात की जाए तो इसकी हालत अनुसूचित जाति वर्ग से भी पिछड़ी हुई है। अनुसूचित जाति वर्ग ने अपने आदर्श डा० बी० आर० अम्बेडकर के बताए गए तीन मूल मन्त्रों– संर्घष करो, संगठित रहो, शिक्षित बनो को अपने विकास का आधार मान लिया है जो उनके अधिकारो की रक्षा करता है। आज जब हम देखते है अनुसूचित समाज के वर्गो के दर्जनों संगठन काम कर रहे हैं जबकि अन्य पिछड़े वर्ग में इस तरह के संगठनों की अब भी कमी दिखाई पड़ती है।
दूसरा मुख्य कारण जो अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक व आर्थिक विकास में बाधा है यह है कि हरियाणा में सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व का बहुत कम होना व अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रति असंगत राजकीय नीतियां. केन्द्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ देने के लिए क्रीमीलेयर की सीमा 8 लाख रुपये वार्षिक आय रखी गई थी जो कि हरियाणा में 6 लाख रुपये वार्षिक आय रखी गई थी जो कि न्याय संगत नहीं थी। हालांकि वर्तमान सरकार ने केंद्र सरकार की तर्ज पर क्रीमीलेयर की सीमा को 6 लाख रुपये से बढ़ा कर 8 लाख रुपये कर दिया है जो कि आने वाले समय में अन्य पिछड़ा वर्ग के आर्थिक व सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
वी.पी.सिंह की सरकार ने सन् 1989 में केंद्र सरकार की सरकारी नौकरियों में जब ओबीसी के लिए सीटें आरक्षित करने हेतु मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की कोशिश की, तो अधिकांश शहरी क्षेत्रों में इसका विरोध हुआ। इसी तर्ज पर हरियाणा में भी सन् 1990 के दशक में, मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए हरियाणा सरकार के द्वारा एक कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर हरियाणा में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है जबकि हरियाणा में ओबीसी की आबादी राज्य की आबादी का लगभग 40% है और इसमें 78 जातियाँ शामिल हैं और इसको को दो श्रेणियों में विभाजित किया है, पिछड़ा वर्ग (ब्लॉक ए) के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण और पिछड़ा वर्ग (ब्लॉक बी) के लिए 11 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है ।
केंद्र सरकार की सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग का सभी ग्रुपों में (ग्रुप-A, ग्रुप-B, ग्रुप-C, ग्रुप-D) की सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण का प्रावधान है जबकि हरियाणा में ये ग्रुप-A व ग्रुप-B की सरकारी नौकरियों में यह केवल 17% आरक्षण दिया गया है जबकि ग्रुप-C व ग्रुप-D की सरकारी नौकरियों में यह 27% आरक्षण का प्रावधान है। जो अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों का उच्च पद (ग्रुप -A व ग्रुप-B की सरकारी नौकरियों) प्राप्त करने में अवरोधक है, परिणामस्वरूप उनके आर्थिक व सामाजिक विकास में मुख्य बाधक है।
जिस तरह हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार की तर्ज पर क्रीमीलेयर की सीमा जो 6 लाख रुपये वार्षिक आय है उसे बढ़ाकर कर 8 लाख रुपये वार्षिक आय कर दिया है। उसी तरह आरक्षण की सीमा को (BC-A) 11% तथा BC-B 6% (ओबीसी कुल आरक्षण सीमा 17% है) को बढ़ाकर 27% कर देना चाहिए ताकि अन्य पिछड़ा वर्ग को आर्थिक विकास में भी समान अवसर प्राप्त हो सके।
हरियाणा में अन्य पिछड़े वर्ग की सरकारी नौकरियों में भागीदारी की बात करते हैं तो उनकी हालत अनुसूचित जाति वर्ग से भी बहुत बुरी है। हरियाणा सरकार के कर्मचारियों की जनगणना रिपोर्ट 2003 व 2016 में सभी वर्ग की सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व को दिखाया गया है। कर्मचारियों की जनगणना रिपोर्ट 2003 अनुसार वर्ष 2002 में ग्रुप A में अन्य पिछड़ा वर्ग का भागीदारी केवल 4.19 % थी जबकि अनुसूचित जाति की भागीदारी 7.98% थी जबकि सामान्य वर्ग की भागीदारी 86.8% थी जो दिखाती है कि अन्य पिछड़ा वर्ग की भागीदारी 27% होनी चाहिए थी, वह मात्र 4% है, जोकि अनुसूचित जाति वर्ग से भी आधी है। सामान्य वर्ग की हिस्सेदारी जो कि 50% होनी चाहिए थी वह 86.86 प्रतिशत है। हांलांकि समय के साथ-साथ इस भागीदारी में सुधार हुआ है परन्तु जब हम हरियाणा सरकार के कर्मचारियों की जनगणना रिपोर्ट-वर्ष 2016, में देखते है तो भी इन वर्गों की सरकारी नौकरियों में भागीदारी असंतोषजनक है। इस रिपोर्ट के अनुसार ग्रुप-A की सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व 7.98% से बढ़कर कर 13.74% हो गया जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व 4.1% से का बढ़कर वर्ग मात्र 10.61% रहा ।
सामान्य वर्ग का प्रतिनिधित्व वर्ष 2015 में ग्रुप A की सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व 74.8% था । यही स्थिति ग्रुप B की सरकारी नौकरियों में भी दिखाई देती है। जब हम ग्रुप-B की बात करते तो वर्ष 2015 में अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व 15.1% था जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व मात्र 13.5% था जबकि सामान्य वर्ग का प्रतिनिधित्व गुप-B की सरकारी नौकरियों में 70.3% था। ग्रुप-C की नौकरियों में वर्ष 2015 में अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व वर्ष 2015 में 16.6% था व अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व 19.9 % था जबकि सामान्य वर्ग का प्रतिनिधित्व 61.4% था। जब हम ग्रुप D की-बात करते हैं तो इस ग्रुप में अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व 33.6%, अन्य पिछड़ा वर्ग का 18.6% व सामान्य वर्ग का 47.9% था। इस तरह से हरियाणा सरकार की कर्मचारी जनगणना रिपोर्ट दिखाती है की हरियाणा में अन्य पिछड़ा वर्ग का सरकारी नौकरियों मे प्रतिनिधित्व अनुसूचित जाति से भी बुरा है। हालांकि वर्तमान सरकार ने अन्य पिछड़े वर्ग की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए क्रीमीलेयर की सीमा को बढ़ाया है जो उनके आर्थिक विकास को बढ़ाने में बहुत अच्छा योगदान देगा। परन्तु केंद्र सरकार की तर्ज पर अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण हरियाणा में 17 % है, (ग्रुप-A व ग्रुप-B में की नौकरियों में) उसे 27% करने की और विशेष अभियान चलाकर सभी बैकलॉग के पदों को भरने की अत्यंत आवश्यकता है। सरकार द्वारा उठाया जाने वाला यह कदम हरियाणा में अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक व आर्थिक विकास के सफर मील का पत्थर साबित होगा।
*(मैं, आदरणीय डॉ. रामजीलाल, समाज वैज्ञानिक, पूर्व प्राचार्य, दयाल सिंह कॉलेज, करनाल का धन्यवाद करता हूं, जिनके सुझाव ने इस पेपर की गुणवत्ता में बहुत सुधार किया।)
*इंस्टॉल करें समाज वीकली ऐप* और पाए ताजा खबरें
https://play.google.com/store/apps/details?id=in.yourhost.samajweekly