धम्म-चक्र प्रवर्तन दिवस धूमधाम एवं श्रद्धापूर्वक मनाया गया
हमें सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष जारी रखना होगा – डॉ. बलबिंदर कुमार
जालंधर (समाज वीकली): अंबेडकर मिशन सोसाइटी पंजाब (रजि) की ओर से अंबेडकर भवन ट्रस्ट और आल इंडिया समता सैनिक दल (रजि), पंजाब इकाई के सहयोग से, ‘धम्म-चक्र प्रवर्तन दिवस’ अंबेडकर भवन, डा. अंबेडकर मार्ग जालंधर पर , बड़ी धूमधाम और श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस आयोजन में डाॅ. बलबिंदर कुमार, सहायक प्रोफेसर राजनीति विज्ञान, स्वामी सर्वानंद गिरि क्षेत्रीय केंद्र होशियारपुर मुख्य अतिथि थे और आदरणीय भंते प्रज्ञाबोधि जी, तक्षला महाबुद्ध विहार लुधियाना ने विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया। भंते प्रज्ञा बोधि जी एवं मुख्य अतिथि डाॅ. बलबिंदर कुमार जी ने पंचशील ध्वजारोहण कर और तथागत बुद्ध की प्रतिमा को नमन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। भंते प्रज्ञाबोधि जी ने उपस्थित लोगों को धम्म देशना दी। डॉ. बलबिंदर कुमार ने अपने भाषण में बोलते हुए कहा कि डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में अपने लाखों अनुयायियों के साथ बुद्ध-धम्म की दीक्षा लेकर ‘धम्म-चक्र प्रवर्तन’ में क्रांति ला दी और कहा कि मैं नरक से छूट गया हूं और मेरा पुनर्जन्म हुआ है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब के बुद्ध धम्म की दीक्षा का मूल उद्देश्य सदियों से पिछड़े और अछूतों के बीच आत्मनिर्भरता, आत्मशक्ति, तर्कसंगतता, समानता और भाईचारा पैदा करने के लिए एक मंच प्रदान करना था ताकि वे एकता की श्रृंखला बना कर राजनीतिक शक्ति हासिल करने में सफल हो जाएँ, लेकिन समाज ने उनकी विचारधारा को समझने की कोशिश नहीं की। डॉ. बलबिंदर कुमार ने कहा कि हमें सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष जारी रखना चाहिए। उन्हों ने डॉ.अंबेडकर जी की सैद्धांतिक विचारधारा का अनुसरण लगभग 65 वर्षों तक मरहूम श्री एल. आर बाली जी के नेतृत्व में करने के लिए अंबेडकर भवन एवं अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.) द्वारा निरंतर प्रचार एवं प्रसारण में दिये गये योगदान की सराहना की।
डॉ. जी. सी.कौल ने कहा कि बाबा साहब ने कहा था कि मुझे बौद्ध धर्म पसंद है क्योंकि यह तीन सिद्धांतों का संयोजन है, जो किसी अन्य धर्म में नहीं मिलता है। बुद्ध धम्म अंधविश्वास के खिलाफ प्रज्ञा (तर्कसंगतता) सिखाता है, यह करुणा (रहमदिली) सिखाता है और यह समता (समानता) सिखाता है। यह समानता, स्वतंत्रता, भाईचारे का धर्म है। डॉ. कौल ने कहा कि बाबा साहब के अनुसार बौद्ध धर्म एक क्रांति थी जो एक धार्मिक क्रांति के रूप में शुरू हुई और मानव निर्मित जाति बंधनों को तोड़कर सभी को प्रगति के समान अवसर प्रदान करके एक राजनीतिक क्रांति बन गई। डॉ. अंबेडकर जी का दृढ़ विश्वास था कि महा मानव बुद्ध की शिक्षाएँ रक्तहीन क्रांति के माध्यम से साम्यवाद ला सकती हैं। जसविंदर वरयाणा प्रदेश अध्यक्ष आल इंडिया समता सैनिक दल (रजि), पंजाब इकाई और सुभाष चंद्र मुसफ़र पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम की शुरुआत में अंबेडकर भवन ट्रस्ट जालंधर के संस्थापक ट्रस्टी लाहौरी राम बाली, क्रांतिकारी साथी कम्युनिस्ट नेता गदर और डाॅ. एमएस स्वामीनाथन के लिए दो मिनट का मौन रख कर उनको शर्धांजलि दी गयी । हरमेश जस्सल, ट्रस्टी अंबेडकर भवन ट्रस्ट जालंधर ने भंते जी से जाचना की । यह कार्यक्रम श्री सोहनलाल प्रधान अंबेडकर मिशन सोसाइटी पंजाब (रजि) की अध्यक्षता में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। उन्होंने अतिथियों का परिचय कराते हुए सभी का स्वागत किया। मंच का संचालन चरण दास संधू ने बखूबी किया। इस कार्यक्रम में अन्य लोगों के अलावा बलदेव राज भारद्वाज, सुखराज, डाॅ. महेंद्र संधू, कुलदीप भट्टी, परमिंदर सिंह खुटन, पिशोरी लाल संधू, तिलक राज, निर्मल बिनजी, चरणजीत सिंह मट्टू, मनोहर लाल बाली, सोहन सहजल, अमरीक एस माहे, रामनाथ सुंडा, राम लाल दास, तरसेम जालंधरी, हरभजन सांपला, चमन दास सांपला, पुरूषोत्तम सरोया, प्रिंसिपल परमजीत जस्सल, गुरपाल सिंह डीपीआई सेवानिवृत्त, चौधरी हरी राम, गुरदयाल जस्सल, मेहर मलिक, गुरदेव खोखर, वरण कलेर, नरिंदर लेख आदि ने भाग लिया। यह जानकारी अंबेडकर मिशन सोसायटी के महासचिव बलदेव राज भारद्वाज ने एक प्रेस बयान में दी।
बलदेव राज भारद्वाज
महासचिव
अंबेडकर मिशन सोसायटी पंजाब (रजि.)