सभी संगठनों द्वारा प्रधानमंत्री नाम संयुक्त मांग पत्र महाप्रबंधक आर.सी.एफ. को सौंपा
हुसैनपुर , 22 मई (समाज वीकली-कौड़ा)-मोदी सरकार के निर्देशों पर श्रम कानूनों में बेरहम बदलाव, राष्ट्रीय संसाधनों और संपत्तियों के निजीकरण की नापाक कोशिशों, कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को रोकने के खिलाफ व अन्य मांगों को लेकर देश की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आज रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला में बाबा साहिब भीमराव अंबेडकर चौक पर कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। जिसमें बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने भाग लेते हुए मोदी सरकार की देश, देश के संसाधनों, कुदरती संसाधनों तथा मजदूर व मेहनतकश लोग विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस दौरान सर्वजीत सिंह, महासचिव, आरसीएफ एम्पलाईज यूनियन ने कहा कि मोदी सरकार आत्मनिर्भरता के नाम पर दुनिया भर की बड़ी-बड़ी कंपनियों को देश लुटाना बंद करे। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि देश के मजदूरों को बंधुआ बनाकर, उनसे ट्रेड यूनियन के अधिकार छीन कर, सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण कर, देश को विदेशी कंपनियों, विदेशी पूंजी, विदेशी तकनीक का गुलाम बना कर मोदी सरकार कैसा आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहती है। उन्होंने कहा मोदी सरकार साम्राज्यवादी नीतियों पर चलते हुए मजदूरों व मेहनतकश लोगों के लंबे संघर्षों से हासिल किए अधिकारों को कुचल रही है जिसको किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।श्री सर्वजीत सिंह ने देश की आयुध फैक्ट्रियों (ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीयों) के निगमीकरण व उसमें 74 फ़ीसदी एफडीआई की मंजूरी देने की निंदा करते हुए कहा कि अब देश की सुरक्षा निजी, देशी विदेशी कंपनियों जो करोना संकट के दौरान कहीं नजर नहीं आई थी और जिनका मुख्य मकसद मुनाफे के इलावा और कुछ नहीं है व जिनकी विश्वासनीयता हमेशा संदेह के घेरे में है के हवाले कर मोदी सरकार ना सिर्फ देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही है बल्कि देश को दोबारा गुलामी की तरफ धकेलने की साजिश कर रही है जिसको हम कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।
प्रेस के लिए के लिए बयान देते हुए श्री रंजीत सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, एससी ऐंड एसटी एसोसिएशन, श्री एमके भटनागर, महासचिव, आईआरटीएसए, साथी उमाशंकर, अध्यक्ष, ओबीसी एसोसिएशन, आदि ने कहा कि मजदूरों के हक में बने कानूनों को खत्म कर मोदी सरकार मजदूरों की कैसी भलाई करना चाहती है? उन्होंने कहा कर्मचारियों के वेतन भत्ते में काटकर, मोदी सरकार मंत्रियों व सांसदों के भत्तों में बढ़ोतरी कर रही है। अंबानी अडानी जैसे बड़े बड़े पूंजीपतियों के ना सिर्फ लाखों-करोड़ों टैक्स माफ किए जा रहे हैं बल्कि नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसी जैसे भगोड़े व लुटेरे पूंजीपतियों के लाखों करोड़ों रुपए के कर्ज बटे खाते में डाल रही हैं।
सभी नेताओं ने सरकारों द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव तथा श्रम कानूनों को सस्पेंड करने, मजदूरों से 12-12 घंटे काम लेने, रेलवे, डिफेंस फैक्ट्रियों, एलआईसी, बीपीसीएल, खदानों आदि के निजीकरण/निगमीकरण आदि का विरोध करते हुए क्रोना संकट के दौरान सबसे पीड़ित प्रवासी मजदूरों, मेंहनतकश व गरीब लोगों को तुरंत राहत देने की मांग करते हुए कहा कि अगर मोदी सरकार अपनी तानाशाही से बाज नहीं आती तो केंद्रीय ट्रेड यूनियनें भविष्य में जो भी संघर्ष का निर्णय लेंगी हम उनके साथ रहेंगे।
बाद में सभी संगठनों द्वारा प्रधानमंत्री नाम संयुक्त मांग पत्र जी .एम आरसीएफ के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजा जिसमें श्री सर्वजीत सिंह, महासचिव, आरसीएफ एम्पलाईज यूनियन, श्री राम रतन सिंह महासचिव, आर.सी.एफ. मजदूर यूनियन, श्री आरसी मीणा,महासचिव, एस.सी.एस.टी.एसोसिएशन, वीर प्रकाश, महासचिव, ओबीसी एसोसिएशन, श्री एमके भटनागर, महासचिव, आईआरटीएसए, श्री जगदीश सिंह, अध्यक्ष, इंजीनियर एसोसिएशन आदि शामिल थे।
रोष प्रदर्शन में श्री रंजीत सिंह, कृष्ण लाल जस्सल, करण सिंह, सिंदूरा सिंह, कश्मीर सिंह, जगजीवन, उमाशंकर, अरविंद प्रसाद, सोहनलाल बैठा, परमजीत सिंह खालसा, दर्शन लाल, हरविंदर पाल, बचितर सिंह, अमरीक सिंह गिल,मनजीत सिंह बाजवा, जसपाल सिंह सेखों, दलजीत सिंह थिंद, तलविंदर सिंह, परविंदर सिंह, नरेंद्र कुमार, रघुवीर सिंह, अरविंद शाह, सुनील कुमार, अवतार सिंह, हरप्रीत सिंह,चरणजीत सिंह गरचा, गुरचरण सिंह बाबा, बाबा अजैब सिंह, गुरजिंदर सिंह, सुखविंदर सिंह सुखी, गुरतेज सिंह, धर्मपाल, चंद्रभान,भरत राज आदि मुख्य रूप में शामिल थे।