(समाज वीकली)
किसान विरोधी तीन कानून और श्रमिक विरोधी संहिता की प्रतियाँ जलाये!
‘असुरक्षित’ श्रमिकों के पंजीकरण अभियान शुरू करे।
सभी मजदूर, किसान साथियों को जिंदाबाद !
१ मई श्रमिकों के संघर्ष और सम्मान का दिन ! आंतररष्ट्रीय ही नहीं, हमारे देश भर, आजादी के बाद भी चलते आ रहे श्रमिकों के संघर्ष, उनसे पाये अधिकार और आज उन्हें कुचलने की पूंजीवादी साज़िश का प्रतिरोध करते हुए, इस दिन सभी मेहनतकशों का साथ देना, एकजुटता घोषित करना जरूरी है।
किसान भी श्रमिक है और किसानी का श्रम करने वाले खेत मजदूर, सभी ‘असुरक्षित’ रखे गये मजदूर, संगठित, असंगठित श्रमिक, वनौपज पर या मत्स्य व्यवसाय, पशु पालन पर जीने वाले… औद्योगिक श्रमिक, ठेका मजूदर, घरेलू कामगार, ‘फ्रन्ट लाइन’ श्रमिक, या ‘सेवा क्षेत्र’ के अन्य करोड़ों मजदूर… सब कोई ‘ मेहनतकश‘ ही तो है। टेलर, सुथार, ठेले-वाले, वाहन चालक जैसे अनगिनत कारीगर या हमारे किसान / खेतिहर बहन भाई, असुरक्षित श्रमिक ‘ ही तो है, जिन्हे न पेंशन मिलता है, न प्रॉव्हीडेंट फंड ! क्यों? वे न हीं निवृत्ती पाते है, न हीं बुढ़ापे में बुनियादी जरूरतों के लिए पर्याप्त धन, तो कहाँ है ‘सामाजिक सुरक्षा’? ‘असंगठित श्रम’ के क्षेत्र में दिन – रात पिसने वाली महिलाओं को अपने श्रम का मूल्य और सम्पूर्ण सामाजिक न्याय एवं सुरक्षा कब प्राप्त होगा ?
आज की देश की राजनीति तो उद्योगपतियों को करोड़पती बनाने में और श्रमिकों को मौत की कगार पर धकेलने में लगी हुई है| किसान विरोधी कानून और श्रमिकों के विरोधी संहिताओं के द्वारा असंवैधानिक कानूनी दायरा किसान मजदूरों के अधिकारों पर ही क्या, ‘न्याय प्रक्रिया’ पर भी हमला ही करने वाले है । पिछले साल जिस प्रकार से लाखों प्रवासी मजदूरों का गमबीर संकट पूरे देश ने देखा, वैसे ही इस बार भी आर्थिक समस्या और भूखमरी करोड़ों मजदूरों पर मंडरा रहा है |
इस स्थिति में ‘लॉकडाउन ‘ का फायदा उठाने वाले शोषक, शासकों को चुनौती देना जरूरी है | किसान- मजदूर एकता का संदेश देने वाले कार्यक्रम १ मई को अपने गांव, बस्ती के साथ, संभव हो वहां, संगठन के क्षेत्रीय स्तर पर भी हम करे, यह ऐलान है संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय श्रमिक संगठनों की परिषद का | इस व्यापक समन्वय के ऐलान को हम प्रतिसाद और पूरा समर्थन जरूर दे !
प्रतिरध के साथ, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के साथियों को ऐलान है कि आज तक जारी सभी श्रमिकों के कानून, जैसे
● अन्तर्राज्य प्रवासी मजदूर कानून, १९७९
● निर्माण मजदूर कानून, १९९६
● असंगठित श्रमिक कानून, २००८
इन सभी कानूनों के तहत हर संबंधित श्रमिक की पंजीकरण होना जरुरी है| इसके लिए फॉर्म्स श्रम अधिकारी या जिल्हाधिकारी/SDM/ तहसीलदार के कार्यालय में जाकर तलाश करे| ऑनलाईन शासन की श्रम विकास की वेबसाईट/पोर्टल पर उपलब्ध है, उसकी खोज करे..और श्रमिकों की नेतृत्व और भागीदारी के साथ, ‘श्रमिकों की रजिस्ट्रेशन‘ का अभियान चलाए | १ मई २०२१ के रोज इस अभियान का उद्घाटन किसी गाँव या बस्ती में करे, यह ऐलान है |
तो चलिए, कम समय में भी किसान- मजदूर एकता दिवस का आयोजन करे | कोविड़ स्वास्थ्य नियमों का पूरा ध्यान देते हुए और लॉकडाउन की जहाँ सख्ती है, वहाँ एक के बदले छोटे-छोटे १०० या १००० जगह भी ,कार्यक्रम करें, इसमें किसान और मजदूर, भाई और बहने, युवा भी शामिल हो, किसानी और मजदूरी के साधन हाथ में लेकर| सोशल मीडिया के साधन तो आप में से काइयों के हाथ में है ही | युवा साथियों, इस दिन संघर्ष की इतिहास और ताकत जाने, किसान शहिदों को याद करे और किसान- मजदूरों का इज्जत से जीने का, आजीविका का अधिकार एवं देश का संविधान बचाने में अपना योगदान जरुर दीजिये |
आपके कार्यक्रमों के जानकारी, फोटो, विडिओ के साथ आप हमे @napmindia पर टैग करें |
आपके साथी: जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय
जन – विरोधी तीन कृषि कानूनों और श्रम संहिता को वापिस लो !
– जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM)