विश्व के कई देशों में भारत का नाम रोशन करता पंजाबी डॉ विनोद कुमार

लंदन: आज विश्व के कई वैज्ञानिक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली को अपनाने पर जोर दे रहे है। ऐसे में यूके में स्पेजिरिक दवाएं दुनिया में विकल्प के तौर पर सामने आ रही हैं। खास बात यह है कि एक भारतीय पंजाबी मूल निवासी  इन स्पेजिरिक दवाओं को दुनिया के कई देशों में स्थापित कर रहे हैं। हाल ही में भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के न्योते पर गए डॉ विनोद कुमार ने रक्षा मंत्री के साथ मुलाकात की और अपना भारत में कार्य करने का प्रेजेंटेशन दिया । साथ ही भारत के इस दौरे पर डॉ विनोद कुमार एवं सेक्रेटरी प्रदीप कौर के द्वारा किये गए कार्यो का कई अन्यो संस्थायों ने भव्य स्वागत किया । 5 सिंतबर को शिक्षक दिवस के मोक्के पर दिल्ली एक कार्यकम में नेपाल के प्रथम उपराष्ट्रपति द्वारा  उन्हें *शिक्षक श्री अवार्ड समानित किया गया ! इस दौरे के दौरान डॉ विनोद कुमार एवं प्रदीप कौर ने कई महान हस्तियों से मुलाकात कर अपने कार्यो से परिचित करवाया। साथ ही सब ने इन्हें अपनी शुभकामनाये दी । मुख्य तौर पर मुलाकात करने में प्रमुख रहे पंजाब केसरी के मुख्य संपादक श्री विजय चोपड़ा जी,  राज्य कृषि मंत्री रूपला जी, स्वामी रामदेव जी, प्रो उप कुलपति पतंजलि डॉ वच्यापति कुलवंत से मुलाकात की।

भारत के डॉ. विनोद कुमार 20 वर्षों से इन दवाओं पर काम कर रहे हैं। डॉ. विनोद कुमार ने बताया, ‘इन दवाइयों को पौधों के अर्क से बनाया जाता है। यह काफी पुरानी विधि है जो भारतवर्ष से लगभग 600 वर्ष पूर्व यूरोप गई जिसे जर्मन के वैज्ञानिक पैरासेल्सस ने यूरोप में स्थापित किया वहाँ पर  जल्दी लुप्त हो गई लेकिन जर्मन के चिकित्सक क्रॉस ने इसे 19वीं शताब्दी में दोबारा स्थापित किया।’ लेकिन यह प्रणाली फिर से एक वार विश्व युद्ध में लुप्त हो गई जिसे एक बार फिर से एक भारतीय मूल निवासी डॉ विनोद कुमार ने पुनः स्थापित कर दिखाया इसका उलेख यूके के मशहूर प्रोफेसर निक ब्लैक ने अपनी पुस्तक जिसको रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडिसिन ने छापा है। ‘जर्मनी और यूके में इन दवाओं का इस्तेमाल लंबे समय से होता आ रहा है।’ इंग्लैंड के कॉन्वेंट्री में इंटरनैशनल स्पेजिरिक थेरपी इंस्टिट्यूट में जर्मनी, ग्रीस, अफ्रीका, नाइजीरिया, कनाडा और अमेरिका के सैकड़ों चिकित्सक डॉ. विनोद कुमार के साथ इस प्रणाली पर शोध कर रहे हैं।

लंदन की राष्टीय वैकल्पिक संस्था ने डॉ विनोद कुमार के कार्यो को देखते हुए उन्हें दुवारा से इस प्रणाली को यूके एंड यूरोप में पुनः स्थापित करने के लिए बेस्ट कॉन्ट्रिब्यूशन इन मेडिसिन अवार्ड दिया गया जोकि किसी भारतीय को यह पहली बार  समानित किया । साथ ही बता दे कि डॉविनोदकुमार पहले यूके के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमेरून से मुलाकात की थी और डॉ विनोद कुमार की लिखी पुस्तक पर हस्ताक्षर कर उन्हें अपनी शुभकामनायें दी थी। साथ ही यूके के पूर्व हेल्थ मिनिस्टर एंड विदेश मंत्री जेरेमी हंट से भी मुलाकात कर चुके है।

विजय चोपड़ा जी मुख्य संपादक पंजाबकेसरी और डॉ विनोद कुमार

डॉ. विनोद ने बताया, ‘यह थेरपी पूरी तरह से पौधों पर आधारित है जिसमें किसी भी केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है। इसमें 115 पौधों का इस्तेमाल करके शरीर के अलग-अलग अंगों के लिए 78 तरह की दवाइयां बनाई जाती हैं। यह थेरपी सीधे बीमारी के रूट कॉज को जड़ से मिटाने में सहायक होती है। यह रोग के सिम्पटम्स को नही शरीर के सिस्टम्स को ठीक करते हुए मानिसक, शारीरक  और आत्मिक ऊर्जा को संतुलित करती है। यूके के कॉन्वेंट्री में स्थित स्पेजिरिक होलिस्टिक सेंटर दुनियाभर से लोगों को इन दवाओं पर अध्ययन के लिए आमंत्रित करता है। साथ ही साथ डॉ विनोद कुमार भारतवर्ष से गई प्रणाली को दुवारा से अपने देश में लाना चाहते है और विश्व को ये दवाये  भारत से एशिया के कई देशों में फैलाने के इच्छुक है ताकि अपने भारत का नाम ओर रोशन हो सके।

डॉ विनोद कुमार के जीवन का उद्देश्य है कि अब समय की मांग है कि हमे  *”प्राकृतिक की ओर”* बैक टू नेचर  की ओर जाना चाहिए ।

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