बुद्व की धरती, खून से लाल

– विभूति मनी त्रिपाठी
जिधर देखो हर तरफ एक खामोशी है, बस एक बार नजर मिलाकर देखो, एक दर्द का तूफान हर एक इंसान ने छिपा रखा है….
इन चंद लाइनों पर अगर घ्यान से विचार किया जाये, तो आज के समय की हकीकत समझ में आ जायेगी । हम सब किस तरफ जा रहे हैं, इसका जवाब खुद बखुद मिल जायेगा, क्यूंकि इस जहान में रहने वाला हर एक इंसान सिर्फ सुख और शांति की कामना करता है लेकिन आजकल  कुछ लोग, धर्म के नाम पर खुद को गलत रास्ते पर ले जाकर हजारों निर्दोष लोगों का खून बहाकर शांति पाते हैं ।
Vibhooti Mani Tripathi

इस संसार में कौन सा ऐसा धर्म है, कौन सी ऐसी किताब है और कौन से ऐसे धर्म गुरु हैं, जिन्होंनें कभी भी अपने मानने वालों से कहा हो कि जाओ निर्दोषों का खून बहाओं, इससे मुझे खुशी मिलेगी और तुम्हें जन्नत नशीब होगी ।

विभिन्न धर्मों में कही गई बातों और उपदेशों का जिक्र किया जाये तो हम बताना चाहेगें कि, हिन्दू सनातन परंपरा में आपसी प्रेम और सदभावना को सबसे प्रमुख स्थान दिया गया है । इस्लाम में पैगंबर साहब ने फरमाया है कि किसी के लिये  भी अपने दिल में कोई भी बुरा ख्याल या कोई भी गलत बात मत लाओ चाहे वह तुम्हारा दुश्मन ही क्यंू ना हो, क्यूंकि इस्लाम में किसी के लिये भी गलत ख्याल को मन में लाना भी गुनाह माना गया है। इस तरह से, ये सोचने वाली बात है कि जिस मजहब में इंसान को यह सिखाया जाता है कि गलत ख्यालात किसी के लिये मत लाओ, ऐसे में क्या इस्लाम कभी भी किसी को इस तरह की बर्बर कार्यवाई के लिये प्रेरित करेगा ???
इसाईयों में जहां प्रभु यीशु,  समाज में सुख और शांति के लिये खुद सूली पर चढ गये और दुनिया  को सच्चाई और नेकी की राह दिखाई ।
इस पूरी कायनात में कोई भी ऐसा मजहब नही है, जो नफरत सिखाता हो, जो बेगुनाहों के खून को बहाने की इजाजत देता हो, ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी हो जाता है कि हमारे समाज में आज कल धर्म के नाम पर जो भी हो रहा है, वह क्या है ???
कुछ चंद लोगों ने पूरे मजहब को शक के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है, आखिर क्यूं ??? हकीकत यही है कि बस चंद लोगों के आगे पूरी दुनिया पस्त नजर आ रही है और हर तरफ सिर्फ दहशत और खौफ ही नजर आता है । बस चंद लोगों की वजह से पूरी दुनिया बेबस सी नजर आने लगी है , पूरी दुनिया में जिस तरह से ऐसे बददिमाग लोग मानवता को तार तार कर रहे हैं उसके पीछे सबसे बड़ी वजह है आपसी एकता  में कमी का होना, क्यूंकि आज कल हर कोई आपस में ही इस तरह दूर हो गया है कि एक घर में आपस के ही लोगों के बीच कोई संवाद नही होता और इसी आपसी भटकाव का फायदा विघटनकारी विचारधारा के लोग उठाते हैं, हमारे नवजवानों को इस तरह से अपने नियंत्रण में कर लेते हैं कि उनको हर एक गलत बात सही लगने लगती है और इस तरह से विघटनकारी तत्वों की संख्या समाज में बढने लगती है ।
आतंकवाद की बात करें तो समूचे विश्व में कोई भी ऐसा देश नही है जो आतंकवाद के दर्द से पीड़ित न हो, बस प्रारुप बदल जाता है लेकिन विषय एक ही  रहता है ।
अभी जल्द ही न्यूजीलैंड में जुमे के नमाज के वक्त, जिस समय हमारे मुस्लिम भाई अपने खुदा को याद कर रहे थे, उसी समय एक सिरफिरे ने अपने पागलपन की आग में सैकड़ों निर्दोष लोगों की हत्या कर दी, आखिर यह सब करके उस इंसान को क्या हासिल हुआ??? कौन सी ऐसी खुशी उस शख्स को मिल गयी होगी, यह सब बहुत ही चिंतनीय और तकलीफ देने वाली बात है ।
न्यूजीलैंड में हुये कत्लेआम के दर्द से हम सब उबरने की कोशिश कर ही रहे थे, कि इसी इतवार को जब पूरी दुनिया में ईस्टर संडे का त्योहार मनाया जा रहा था, जिस समय पूरी दुनिया, प्रभु यीशु के पुनः अवतरित होने की खुशी मना रही थी, ठीक उसी समय श्रीलंका में कई चर्च और कई सारे होटलों में एक के बाद एक, लगातार बम विस्फोट हुये, इस कायराना हमले में 300 से ज्यादा बेगुनाह और निर्दोष लोगों की मौत हो गई, मरने वालों में  40 से भी ज्यादा बच्चे थे  और यह बहुत ही ह्नदय विदारक स्थिति को बयां कर रहा है । ईस्टर का दिन बहुत ही खुशी का दिन होता है और इसको पवित्र रविवार, खजूर ईतवार और सनराइज सर्विस भी कहा जाता है । ईस्टर का त्योहार नव जीवन के बदलाव के प्रतीक के रुप में मनाया जाता है । ऐसा माना जाता है कि सूली पर लटकाये जाने के तीसरे दिन इसी दिन प्रभु  यीशु पुनः जीवित हो गये थे और इसी के खुशी में ईस्टर संडे मनाया जाता है ।
सन 2011 में आधिकारिक जनगणना के अनुसार श्रीलंका की जातीय स्थिति में सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत लोग बौद्व धर्म के मानने वाले थे , 12 प्रतिशत  लोग हिंदु धर्म को मानते थे, 9.7 प्रतिशत लोग इस्लाम  को मानते थे जबकि 7.4 प्रतिशत  लोग इसाई धर्म को मानने वाले थे, इस तरह से यह कहा जा सकता है कि श्रीलंका में हर धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं और दुनिया में श्रीलंका तीसरा ऐसा देश है जहां के लगभग 99 प्रतिशत लोग यह दावा  करते हैं कि धर्म उनके जीवन का महत्वपूर्ण अंग है ।
ऐसा देश, जहां सभी धर्म के लोग मिल जुल कर रह रहे हों, जहां भगवान बुद्व के शांति और एकता की वचनों पर चलने वाले लोग रहते हों, वहां इस तरह की अमानवीय घटना का होना बहुत ही दुखदाई है और इस बात में कोई संदेह नही कि दुनिया के जिन जिन जगहों पर हर धर्म के लोग सुख और शांति से रह रहे हैं वहीं पर इस तरह की घटना हो रही है और न्यूजीलैंड और श्रीलंका इसका जीता जागता उदाहरण है ।
 सबसे ज्यादा चैंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर विस्फोट ऐसी जगहों पर ही किये गये जिससे  कि ज्यादा से ज्यादा इसाई समुदाय के लोगों को नुकसान पहुंचे और ठीक ऐसा हुआ भी , इस तरह से यह कहने में  बिल्कुल भी गुरेज नही कि प्रथम द्रस्टया श्रीलंका में हुआ हमला सिर्फ और सिर्फ इसाई समुदाय के लोगों को ही निशाना बना कर किया गया था और ऐसे में दिमाग में एक बात बार बार आ रही है कि श्रीलंका में हुये हमले  का संबंध न्यूजीलैंड में हुये हमले से तो नही, क्यूंकि दोनो जगहों पर हुई घटना  में बहुत सारी समानतायें नजर आ रही हैं । बहर हाल वजह जो भी हो, इस तरह की बर्बरता पूर्ण घटनाओं को कहीं भी , किसी भी सूरत में सही नही ठहराया जा सकता ।
एक सवाल जिसका जवाब अभी तक नही मिल पाया , वह है कि आखिर इस तरह की हमलों के पीछे जो भी लोग क्यूं ना हों, वो खुद को आखिर साबित क्या करना चाहते हैं ??? ऐसे पागल, बददिमाग लोगों को शायद ऐसा लगता होगा कि वही पूरी दुनिया में किसी विशेष धर्म के खेवनहार हैं जबकि ऐसा बिल्कुल भी नही हैं,  क्यूंकि जब इंसान खुद को भगवान साबित करने की फिराक में हो जाता है तभी वह इस तरह की वहसियाना हरकत को अंजाम देता है क्यूंकि किसी भी धर्म में, किसी भी निर्दोष के खून बहाने  को वाजिब नही माना गया है ।
कुल मिलाकर यह कहना बिल्कुल भी गलत नही होगा कि, ऐसे लोग जिन्हे शांति पसंद नही है और जो हमेशा इसी ताक में रहते हैं कि कब उन्हें  मौका मिले और कब वह किसी ना किसी बेगुनाह का खून बहायें, हम सभी के दुश्मन हैं ।
श्रीलंका में हुये कायराना हमले के पीछे एक और बड़ी वजह सामने आ रही है , वह है श्रीलंका के राष्ट्रपति और वहां  के प्रधानमंत्री के मध्य बीते काफी समय से संघर्ष की स्थिति बनी हुई थी और इसी गतिरोध का फायदा दहशतगर्दों ने उठाया ।
अंत में सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि इस तरह की अमानवीय और निंदनीय करतूतों के पीछे जो भी लोग हैं और ऐसे लोेग खुद को जो भी समझ रहे हों, मेरी अपनी नजर में ऐसे लोग दुनिया के सबसे बड़े कायर लोग हैं , क्यूंकि छोटे छोटे बच्चों और निहत्थों पर इस तरह से हमला सिर्फ एक कायर और डरपोक स्वभाव का मनुष्य ही करवा सकता है ।
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