(समाज वीकली)- 2003-04 मेंडुवर्स क्षेत्र के बागान में आए सकंटों की वजह से बागान में चोरी होने लगी, जिस से बागान बर्बाद होने लगे। यह चोरी अब तक हो रही है और इससे सबसे ज्यादा पीड़ित वर्ग साधारण श्रमिक – महिलाएं और उनके बच्चे हैं जो कि सिर्फ बागान में पत्तियों को तोड़ने के काम पर निर्भर हैं।
वर्तमर्त ान मेंचोरी का आरोप बीरपाड़ा चाय बागान जटेश्वर डिवीजन के 1300 श्रमिकों के खिलाफ लगाया गया है। लेकिन सवाल यह है कि इस मामले में असल चोर कौन है?
2015 मेंबीरपाड़ा चाय बागान को डकंन इंडस्ट्रीज लिमिटेड छोड़ दिया गया था , फिर 2017 में इसे थोड़े समय के लिए खोला गया और फिर बाद में डकंन इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा छोड़ दिया गया। सितंबर 2019 में, बीरपाड़ा बागान के जटेश्वर डिवीजन के 1300 श्रमिकों ने 405 एकड़ चाय बागान को चलाने के लिए खदु का एक समहू बनाया। तब से, श्रमिकों को तोड़े हुवेपत्तियों के लिए 10 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहा है, और सीजन के दौरान 250-300 रुपये प्रति दिन तक मिलता है। समहू सितंबर 2019 से ही सफलता पर्वूक बचत करतेआई है। और प्रत्येक श्रमिक को अधिशषे बचत सेऔसतन 11,280 रुपये बोनस के रूप में अक्टूबर 7,2020 को दिया गया। ऑफ सीज़न के दौरान उन्हें पेड लीव (“साल छुट्टी”) के लिए भी पसै े मिले हैं।
श्रमिकों को लगता है कि जब डकंन प्रबधंन बागान को चल रहा था उससे भी काफी बेहतर पिछला साल रहा है। श्रमिक जानते हैं कि कई नियोक्ता आएंगेऔर जाएंगे, लेकिन श्रमिक आनेवाली पीढ़ियों तक चाय बागान पर ही निर्भर रहेंगे। इसलिए इन चाय के पौधों , छायादार पेड़ों और बागानों की अन्य सपंत्तियों को बनाए रखना और
उनकी सरुक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है। और यही श्रमिक जो अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, उन्हें चोर कहा जा रहा है।
बागान श्रमिकों पर चोरी का आरोप इस लिए लगाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने अवधै समझौता द्वारा बागान खोलने का विरोध किया है। 12 फरवरी को 4 से 5 प्रमखु ट्रेड यनिूनियनों के नेताओं ने मेरि को एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ 16 फरवरी 2021 को चाय बागान फिर से खोलने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। हालांकि
सरकारी अधिकारी या डकंन प्रति निधियों में से किसी ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया है।
जटेश्वर बागान के श्रमिकों का दावा है कि इस प्रकार फिर से बागान खोलना अवधै हैऔर उन्हें इस तथा कथित प्रबधंन द्वारा फिर से धोखा दिया जाएगा। यह विवाद निम्नलिखित तथ्यों पर आधारित है: –
1. 29 सितंबर 2016 के उच्च न्यायालय के आदेश (2016 के MAT 562) के अनसु ार, डकंन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को चाय बागान को किसी अन्य मालिक को बेचने की अनमुति नहीं है। उन्हें खदु बागान को चलाना हैऔर श्रमिकों के बकाया राशि को लौटाना है।
2. 5 मार्च 2020 से, डकंन इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड को दिवालि या घोषित कर दिया गया है। सभी डकंन सपंत्ति अब एक रिज़ॉल्यशून प्रोफेशनल के अधीन हैं और लेनदारों की एक समिति अब डनकन्स सपंत्तियों को बेचनेऔर लेनदारों को उनके भगु तान करने की योजना पर विचार कर रही है। इसलिए किसी भी व्यक्ति द्वारा बागान को मेरिको एग्रो इंडस्ट्रीज को नहीं सौंपा जा सकता है।
3. मेरिको के अवधै स्वामित्व के कारण, जटेश्वर के 14 श्रमिकों के खिलाफ मेरिको के वरिष्ठ प्रबधं क द्वारा दायर पत्तियों की चोरी के मामले को भी वधै नहीं माना गया। 26 मार्च 2021 को इस मामले में गिरफ्तार किए गए श्रमिकों को बिना शर्त जमानत देते हुए एसीजेएम (द्वितीय कोर्ट) अलीपरुद्वार ने इस चोरी के मामले को दर्ज
करने में मेरिको के वरिष्ठ प्रबधंक की मालिकाना हक पर सवाल उठाया है और उन “अधिकारियों” पर सदं ेह व्यक्त किया है जिन्होंने बीरपाड़ा को मेरिको को सौंपने वाले समझौते पर हस्ताक्षर किया है। उन्होंने बीरपाड़ा पलिस को जटेश्वर के श्रमिकों के खिलाफ इस तरह के किसी भी चोरी के अवधै मामले को दर्ज करने पर सख्त चेतावनी दी है।।
4. प्रबधंन और प्रशासन से जटेश्वर और हमारे यनिूनियन के कार्यकर्यर्ता , मेरिको के बीरपाड़ा बागान के काननू ी रूप से वधै स्वामित्व के दस्तावेजों को प्रदान करने का आगरह कर रहे है। अब तक, हमें एक भी दस्तावेज़ नहीं दिखाया गया है। जलपाईगड़ुी के सर्किट बेंच में दायर एक मामले में भी ऐसा कोई दस्तावेज दिखाया नहीं गया है।
इसलिए चाय श्रमिक पत्तियों को तोड़ने और चाय पौधों की देख भाल जसै े सिचंई, उर्वरर्वकता और कीटनाशक आदि प्रदान करना को जारी रखें हैं और यह सवाल पछूना चाहते हैं कि – असल चोर कौन है?
हमने बागान में चोरी को देखा है, जहां परूी की परूी इमारतें खत्म हो गई हैं- जहां एक-एक ईंट, रॉड और पत्थर चोरी हो गये हैं। हम ने एक टिबंर (लकड़ी) माफिया को देखा है जो कि दरू कोलकाता या सिलीगड़ुी के नियोक्ता को अधं ेरे में रख कर थोड़े समय में पसै े कमाने के लिए बदं और खलु े बागानों के छायादार पेड़ों की अवधै कटाई प्रबधंन के साथ मिलकर करता है।
सब से बड़ी चोरी उन नि योक्ताओं द्वारा की गई है जि न्होंने श्रमिकों के बकाया का भगुतान किए बिना ही बागानों को छोड़ दिया है। पश्चिम बगं खेत मजरू समिति वर्तमर्तन में 29 ऐसे बागानों के लिए सप्रु ीम कोर्ट में केस लड़ रहा है, जहां श्रमि कों के 350 करोड़ रुपये सेअधिक राशि का भगुतान नियोक्ताओं द्वारा नहीं किया है। ग्रेच्यटुी में चोरी हुई है, जहां अकेले बीरपाड़ा में श्रम कार्यालय के तहत कम से कम 8-10,000 श्रमिकों को ग्रेच्यटुी का भगुतान नहीं कि या गया है, जबकि वे 10 से 15 साल पहले से वानिवत्तृ (रिटायर) हुए हैं। ए.एल.सी. द्वारा आदेश दिये जाने के बावजदू मेरिको द्वारा चलाए जा रहे 4 बागान – गर्गंडर्गं ा, तलु सीपाड़ा, दमु चीपाड़ा, बीरपाड़ा और दसूरे अन्य बागान जसै े कादम्बि नी और डिमडिमा के प्रबधंन ने ग्रेच्यटुी का भगुतान करने से साफ इंकार कर दिया है।
बागान प्रबधंन श्रमिकों से भविष्य निधि की कटौती करता है, लेकिन अपने हिस्से या श्रमिकों के हिस्से को जमा नहीं करता है। हताश श्रमिक गैरकाननू ी और अवधै तरीके से बागान खलुवाने के समझौतों के लिए सहमति दे देते हैं, जहां नेता ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर करते हैं जिससे यह प्रतीत होता है कि अब कोई बकाया नहीं हैऔर बागान
को पनु :खलुवाने के लि ए केवल दैनिक मजदरूी के भगुतान पर सहमती दे देते हैं।
इन बड़ी चोरी के बारे मेंकुछ ट्रेड यनिूनियनों की चप्ुपी से हम हैरान हैं। हमें इन चोरी में कुछ ट्रेड यनिूनियन नेताओ,ं प्रशासन और दष्ुट नियोक्ताओं के बीच मिलीभगत का सदं ेह है। अवधै मालिक द्वारा अपने बागान की लटू को रोकने की कोशिश करने वाले श्रमिकों पर आरोपों के बजाय, हम सभी को मिलकर उन चोरों से बागानों को छुटकारा दिलाने के लिए काम करना चाहिए जो हमारी ग्रेच्यटुी और भविष्य निधि की चोरी करते हैं, जो काननू ी दस्तावेजों के बिना बागान खोलते हैं और जो हमारे बच्चों और हमारे अस्तित्व की परवाह किये बिना हमारी बकाया राशि और हमारी सपंत्ति को लेकर भाग जाते हैं।
असल चोरों को पहचानें, बागान के असली चोरी को रोक